मृतात्मा मेरी ऊँगली में सवार. मै पसीना पसीना ,,,,,,,ढक्कन रुकने का नाम ही नही ले आपबीती 

----------बात तब की है जबकि हमने इलेवन्थ का एग्जाम दिया था। रिजल्ट नही आये थे। मुहल्ले के और दोस्तों ने रामशलाका का उपयोग किया। लेकिन गड़बड लग रहा था उन्हें। उन लोगो ने कहि सुना था की,मृतात्मा को बुलाने से वो सही सही बात बताती है। मुझे भी शामिल कर एक बंद कमरे में पुराने कैलंडर पर परकाल से3 ,४ गोल घेरा बनाकर स्केल की मदद से बीचो बी च सीधी लाइन खीच गया। जिसमे एक ओर यस २रे ओर नो लिखा गया। रात के १२ बज रहे थे। चारो ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। कहि दूर से क्भी कभी कुत्ते की भोकने कि आवाज वातावरण को और डरावना बना दे रहा थी। दोस्तों का कहना था कि आत्मा को प्रकाश पसंद नही। बंद कर दिए लाइट। एक मोमबत्ती की प्रकाश कमरे को भयावह रूप दे रही थी। हमको अपना रिजल्ट जानना था सो बैठे रहे।
फिर शुरू आव्हान आत्मा के नाम से मरे नेताओ के नाम लेकर बुलाने का कार्यक्रम।क्योकि उन्ही के नाम याद आ रहे थे! . एक पुरानी शीशी के ढक्कन को बीचोबीच ॐ लिखे गोल घेरे मे रखा गया। फिर उसका नाम लेकर आमन्त्रित किया। ढक्कन के ऊपर रखी ऊँगली टस से मस ही नही हुई। हम चारो एक दूसरे के चेहरे को देखने लगे। तभी एक ने कहा यार वो साला अभी ,तो जिन्दा है उसकी आत्मा कहा से आयेगी। और हस पड़े हम लोग. फिर मरे लोगो के नाम लेकर कन्फर्म किया. फिर शुरू हुआ आत्मा को आव्हान करने का कार्यक्रम। भैय्या ये सही आपबीती सुना रहा हु.. गप नही समझना।


एक आत्मा का नाम लेकर आने के लिए बोला गया कि हे श्री,,,, जी आप भूमि लोक में आकर हमारे कुछ प्रश्नो का जवाब दे ,मुझे बड़ी उत्सुकता हो रही थीं। मैने कहा पहले मेरा बताओ। दोस्त जिसकी ऊँगली ढक्कन के ऊपर थी। ने कहा , हे पवित्र आत्मा आप आ गए है तो प्रमाण देवे। अचानक मोमबत्ती की लौ तेज़ हो गई। और दोस्त की उँगली के नीचे का ढक्कन काँपते हुए यस लिखे की ओर चलने लगा। और फिर वापस अपनी जगह में आ गया। दोस्त ने बोला की ये देवेन्द्र हमारे बीच है इलेवन्थ मे पास होगा की नही। ढक्कन नही हिला ,मैंने कहा हे पवित्र ,,,,,जी की आत्मा प्लीज़ बताइये न ये हमारे जीवन मरण का सवाल हैं। फ़ैल होने पर बड़ा भाई पीटेगा ,व् घर वाले भी नाराज़ होंगे। प्लीज़ ,,प्लीज़। अचानक ढक्कन पहले गोल घेरे मे घूमने लगा। प्लीज़ मैंने निवेदन किया। उंगली के नीचे ढक्कन नो की ओर जाने लगा। मेरी साँस तेज़ हो गयी। लगा की फेल हो जाऊंगा। नो को टच कर ढक्कन फिर गोल घेरे में घूमने लगा। और फिर अचानक यस की ओर चल पडा। oooo ह गहरी साँस ली मैंने।फिर वापस डगमग करते गोल घेरे और फिर एकबार इस में। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नही रहा। लेकिन एक बार नो में क्यू ग ए सोचने लगा। (इस में भी एक रहस्य था जिसे आगे कभी बताउंगा। फिर उस आत्मा से छमा मांग उन्हें वापिस जाने का निवेदन किया गया।
अब दूसरे दोस्तों ने मुझे अपनी उंगली उस ढक्कन में रख अपना भविष्य पूछने बोला। आधेघंटे बीत चूका था मोमबत्ती भी काफी जल चुकी थी। वातावरण भी रहस्य मय हो गया था।पता नही क्यू कुत्ते जोर जोर से भौकने लगे।


हम लोग सोच नही पा रहे थे की किसे बुलाए। तभी याद आया कि हाल हि में एक महिला नेत्री विमान दुर्घटना में मर गयी है। जरुर उसकी आत्मा भटक रही होंगी। दोस्तों ने खुसुरपुसुर किया और उसके नाम पर तैय्यार हो गये। मेरी उंगली ढक्कन पर उस गोल घेरे में रखा ही था की एक कुत्ता घर के ही बाहर भोकने लगा ,उसे पहले भगाया गया। फिर चूँकि मेरा रिजल्ट मृतात्मा ने घोषित हि कर दिया था ,खुश हो ऊँगली ढक्कन के ऊपर रख बैठ गया। बाकि दोस्त चारो ओर। अब उस मृत माता जी के नाम लेकर उन्हें अपने बीच आने का निमंत्रण दिया। ऊँगली हिली भी नही। दोस्तों को लगा की जानबूझकर ठीक से आव्हान नही किया। क्यूंकि मेरा सवाल तो हल ही हो चूका था। फिर गम्भीरता से मैंने उनका नाम लेकर आमंत्रित किया आप आये व् हमारे जवाब देवे। तभी ढक्कन थोड़ा सा हिला ही था कि पता नही कहा से वो कुत्ता फिर आकर भोकने लगा। मै डर गया। दोस्त ने कुत्ते को फिर भगाया। दरवाज़ा खुलते ही हवा के झोके से मोमबत्ती बुझ गयी। फिर उसे जलाया गया। मैंने फिर शांत भाव से उस महिला मृतात्मा का नाम लेकर अपने बीच आने को निमंत्रित किया। अचानक मेरी ऊँगली के नीचे के ढक्कन में कम्पन हुआ। हाथ जैसे मेरे अधिकार में नही रहे। गोल घेरे में ऊँगली ढक्कन सहित घूमने लगि.,दोस्त के रिजल्ट से संबंधित सवाल किया ,और रिजल्ट बताने बोला। मेरे हाथ की उंगली कांपते हुए कभी यस कभी नो की ओर जाने लगा। मोमबत्ती की लाइट फड़फड़ा रही थी। फिर सवाल दुहराया गया। अचानक मेरी ऊँगली ढक्कन सहित गोल गोल घूमने लगा। रोकते भी नही रुक रहा था .chehra मेरा पसीना से लथपथ। दोस्तों की भी चेहरे में हवाइयां साफ देखि जा सकती थी। अचानक वो कुत्ता फिर कहि से आकर भोकने लगा। और भी जोर जोर से। कौन है रे क्या कर रहे हो ,दोस्त जिसके मकान में थे के दादा जी की आवाज़ आई और डर से हाथ की ऊँगली ढक्कन के ऊपर से हटी। और डरते डरते हम लोग अपने घर की और भाग लिये। फिर कभी नही planchit में आत्मा नही बुलाया। क्यूंकि लगता था की उस महिला नेता की मृतात्मा हम लोगो से बदला न ले ले। धन्यवाद