Thursday, 25 September 2014

कुर्सी आप मत छोड़िए ,बड़े मुश्किल से मिलता है?श्री पटवा जी ने मुझे कहा

वर्ष १९८३-८४ के आसपास श्री सुन्दर लाल पटवा जी विधानसभा म. प्र. में विपक्ष के नेता थे। उन्होंने बस्तर से भोपाल तक पदयात्रा प्रारम्भ की थी। उसी दौरान वे बोडला (तब राजनांदगोनजिला )पहुंचे। कवर्धा से पौड़ी होते हुए. तब कवर्धा में गिनती के भाजपाई थे। आरएसएस जरूर था। श्री छेदी लाल सोनी। श्री लुणिआ ,डॉ रमन सिंह(इनकी राजनीती की शुरुवात ही तब हुई थी ). आदि आदि व् बोडला के नेता भी संग में मेरे दफ़्तर आये. 
उनके द्वारा मुझे पुरे कार्यक्रम की जानकारी दी गई.
उनकी चिंता श्री पटवा जी के रुकने की व्यस्था को लेकर थी। उनके द्वारा इस बावत निवेदन भी किया गया। मैंने तत्काल अनुविभागीय अधिकारी श्री शेखावत व् उनके माध्यम से कलेक्टर से बात कि. प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें शासकीय सुविधा का लाभ दिया ही जाना था.!
खैर पौड़ी में कोई भी आरामगाह टॉयलेट सहित नही थी ,सिवा ग्रामपंचायत भवन के। अमीनउद्दीन वह! के सरपंच थे। उन्हें समझा कर पंचायत भवन की साफ सफाई करा दी गयी। भोजन आदि की व्यस्था भी। २रे दिन बोडला स्थित डाकबंगला में व्यस्था थी।
खैर पौड़ी में कोई भी आरामगाह टॉयलेट सहित नही था ! ,सिवा ग्रामपंचायत भवन के। अमीनउद्दीन वह! के सरपंच थे। उन्हें समझा कर पंचायत भवन की साफ सफाई करा दी गयी। भोजन आदि की व्यस्था भी। २रे दिन बोडला स्थित डाकबंगला में व्यस्था थी।
अतः मुझे लगा की वे भाषण के बाद सीधे चिल्फी की और बढ़ लेंगे। प्रोटोकॉल के नियमो के भीतर पहले ही मिल चुके है। व्यस्था से संतुष्ट ही थे वे। व् अगले दिन मंडला बॉर्डर में बिदा करके आने का तय था। 
भाषण ख़त्म हुआ ,हम लोग अपने काम में व्यस्त थे ,की पटवा जी कार्यकर्त्ता सहित मेरे कमरे में आ पहुंचे! मैं हड़बड़ा गया ,चूँकि वे कैबिनेट स्टार मिनिस्टर की सुविधा प्राप्त थे ,ही वे ,मई अपनी कुर्सी छोड़ उन्हें उस पर बैठने का निवेदन किया। 
तब पटवा जी ने हसते हुए कहा '' बिडिओ साहब कुर्सी बड़े मुश्किल से मिलती है ,आप छोडो मत बैठ जाइये। 
फिर उनके एक कार्यकर्ता ने मुझे बताया की उन्हें टॉयलेट जाना है। उस टाइम सुविधा सिर्फ मेरे क्वार्टर में ही थी ,साथ में उन्हें मैंapne क्वार्टर ले गया। फिर चाय पानी के बाद उन्हें bida किया। उस समय कांग्रेस शासन थी ,अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे। स्थानीय विधायक के उक्त सम्बन्ध में क्वेश्चन विधानसभा के भी झेले।
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