JIWAN KE ANEKO RANG
Wednesday, 3 August 2016
गहनों से सजी धजी लाल साडी में दुल्हन को दौड़ते देख किसी खतरे की आशंका या फिर मानवीय संवेदनशीलता कहे, उसने चलती रेलगाड़ी रोक दी ,,,,,,,
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मेरी माता जी जब भी इस छोटी लाइन की रेलगाड़ी को देखती तो उनके आँखों के सामने शादी के बाद की उनकी ससुराल से पहली पहली बार मायके जाने का दृश्य झूलने लगता।
वे दुर्ग(नाना जी के पैतृक मकान) से शादी होकर के ग्राम सोनपुर में व्याह होकर आयी थी। शहर से उनका किसी गांव में आने का यह पहला मौका था। क्योंकि उनकी शिक्षा दीक्षा दुर्ग शहर में ही हुआ था। खैर तब आ
वागमन के साधन काफी ही कम होने से बैलगाड़ी ही एकमात्र साधन हुआ करता था।
के साधन काफी ही कम होने से बैलगाड़ी ही एकमात्र साधन हुआ करता था। अभनपुर तक गांव से 15 किलोमीटर की यात्रा बैलगाड़ी में बैठकर रेल पकड़ने आयी थी। सो उसी से वे रायपुर स्थित अपने मायके के मकान जहा उनके पिता जी सर्विस में थे। में जाने के लिए निकली थी। और सुबेरे सुबेरे को रेलगाड़ी थी।
जब तक स्टेशन पहच प्लेटफार्म से बाहर बैलगाड़ी को खड़े कर नौकर उनका सामान निकलने लगे। रेलगाड़ी ने सिटी देकर भक भक धुंए छोड़ने चालू कर दिए।
माता जी की सहायता करने गांव से घर का दरोगा भी साथ में आया था। . देखते ही देखते रेल गाड़ी के चक्के ने घूमना प्रारम्भ कर दिये।
.अब घबरा कर लाल साडी पहनी गहनों से सजी धजी सहित दुल्हन बैलगाड़ी में से कूद पड़ी। क्योंकि दूसरी ट्रेन शाम में थी और या फिर बैलगाड़ी के कष्ट दायक यात्रा करना होता।
उधर दरोगा भी अपने सर में बांधे लाल गमछे को खोलकर हिलाते हुए गाड़ी रोको रोको चिल्लाते हुए नई नवेली मालकिन जिसे उसे पहुंचाने का दायित्व दिया गया था , चलती रेल के साथ दौड़ रही है,के पीछे वो भी गाड़ी के साथ दौड़ने लगा । ( क्योंकि उसने सुन रखा था कि लाल कपड़े देख रेल गाड़ी रुक जाती है )
माध्यमिक स्कूल में माता जी दौड़ में स्कूल चैंपियन भी रही है ,वे भी ट्रेन में चढ़ने दौड़ लगाने लगी। इनके पीछे पीछे बैलगाड़ी चालक नौकर सर में संदूक लिए दौड़ने लगा।
लाल साडी में दुल्हन ,लाल गमझे फहराते दरोगा को देख यात्रियो ने भी चिल्लाना शुरू कर दिया ।
खैर गार्ड का डिब्बा पार नही हुआ था , हरी झंडी दिखाते दिखाते पूरा माज़रा देख न जाने उसे क्या समझ आया उसने हिलते लाल गमझे और लालसाडी में गहनोंसे सजी धजी दुल्हन को दौड़ते देख किसी खतरे की आशंका या फिर मानवीय संवेदनशीलता कहे सिटी देकर लाल झड़ी दिखाने शुरू कर दिया।
गाड़ी का ड्राइवर और इंजिन में कोयला झोकते फायरमैन भी ये नज़ारा देख रहे थे।
धक् धक् धक् भक भक करते हुए सिटी बजाते गाड़ी खड़ी हो गई। माता जी कोउनके मायके तक सुरक्षित पहुचाने वाले सभी लोग जब रेल में सवार हो गए ,फिर रेल चल पड़ी
और ये घटना रायपुर पहुचते तक यात्रिओ का मनोरंजन का केंद्र रही तो नई नवेली दुल्हन के शर्माने का भी ,जिसने अनजाने में ही दौड़ लगा दी थी।
इस ट्रेन पर जब भी उनकी नज़र पड़ती वे हमे अपनी शादी के बाद की ये पहली घटना जरूर ही सुनाती थी। और मुझे भी मेरी माता जी जो हमारे बीच नही है।
इस रेल गाड़ी को देखते ही उनकी याद जरूर आ जाती है।और इस बात का दुःख भी रहेगा की ये गाड़ी अब हमेशा के लिए कुछ वर्षो बाद हमसे बिदा ले लेगा।साथ ही माता जी स्मृतियों से जुडी एक और महत्वपूर्ण कड़ी भी।
आदरणीय कलाम साहब (भु पु राष्ट्रपति ) तथा एशिया के एकमात्र सायफन सिस्टम से बने बांध माड़मसिल्ली की इंजीनियर मैडम सिल्ली भी इस ट्रेन में सफर किये हुए है ।
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PN Subramanian, Pran Chadha and 15 others
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Lalit Sharma
रोचक संस्मरण। वैसे यह ट्रेन अब हैरिटेज की श्रेणी में आ चुकी है, इसे बंद नहीं करना चाहिए। इस पर मेरा एक लेख प्रकाशित है। इस "दूडबिया गाड़ी" के साथ लोगों की बहुतेरी यादें जुड़ी हैं।
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August 2 at 11:07am
Dk Sharma
इस "दूडबिया गाड़ी" में राजिम से रायपुर तक का सफर बचपन में कर चूका हु ,बड़ा ही रोमांचकारी अनुभव प्राप्त होता है। छत्तीसगढ़ के जीवन के अनुभव लेना है तो इससे अच्छी और कोई गाड़ी नही है। वाकई में इसे बंद नही करना चाहिये।
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August 2 at 11:16am
Lalit Sharma
इस पर शीघ्र ही एक डाक्यूमेंट्री करने का इरादा है।
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August 2 at 11:20am
Dk Sharma
मेरी हार्दिक शुभकामना आपके साथ है।
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August 2 at 11:21am
Subhash Chandra
रोचक संस्मरण
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Ashutosh Singh
सर मुझे भी इस बात का अब अपसोस हो रहा है की मैं इतने पास रहते कभी भी इस ट्रेन में यात्रा नही कर पाया. सर यह बात सही है की कुछ चीजे पास रह कर भी बहुत दूर होती है जैसे की यह ट्रेन. आपका प्रतिउत्तर चाहिए
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August 2 at 11:29am
Dk Sharma
सही बात है आशुतोष जी , आप रोज़ इस गाड़ी की आवाज़ सुनते रहे किन्तु इसमें यात्रा नही कर पाये। क्योंकि जीवन की आपाधापी में मन ज्यादा सुविधापूर्ण साधन चाहता है। आप पुनः पधारे आपके साथ मैं भी राजिम या धमतरी की यात्रा इस हैरिटेज की श्रेणी में आ चुकी रेलगाड़ी में कर आऊंगा। वैसे आप अभी कहा पर है।
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August 2 at 11:36am
Ashutosh Singh
अब तो जरूर आपके साथ यात्रा करनी ही है.
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August 2 at 11:53am
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Sk Mishra
अदभुत ! रोचक ! बचपन में मैं भी एक बार बैठ चुका हूं !
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August 2 at 9:49pm
Dk Sharma
sir आपने कहा से कहा तक की यात्रा की थी ..?
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August 2 at 9:51pm
Sharad Shukla
अच्छा संस्मरण। छोटी लाइन की ट्रेन अब बंद हो रही हैं। कोयले वाली ट्रेन से भी बहुत सी यादें जुडी हैं।
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August 2 at 10:20pm
Sk Mishra
कुरुद के पास चार्मुडिया गाँव मै भाभी जी को लिवाने गया था ! सम्भवतः कुरुद या आस पास के किसी स्टेशन से बैठ कर रायपुर तक आया था ! वाकया इस प्रकार है ! बात बहुत पुरानी है ! तब मेरी स्कूली पढाई जारी थी ! एक बार मेरे बड़े भाई साहब मुझे भाभी जी को लिवाने चा
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August 2 at 10:27pm
Dk Sharma
जी ह श्री लालता प्रसाद मिश्र जी को जानता हु ,अब बिलासपुर सरकंडा में बस गए है। वैसे चारमुड़िया ब्लॉक हेड क्वार्टर था कुरुद का। पुराने रिकॉर्ड में कुरुद को चारमुड़िया ब्लॉक के नाम से जानते है। और वह के स्टेशनमास्टर का क्वार्टर ही BDO quarter था. ब्रिटिश जमाने में चारमुड़िया होते हुए ट्रेन महानदी को पार करके मगरलोड ,नगरी के गांव को पर करके जैपोर उड़ीसा तक जाती थी
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Yesterday at 7:13am
Sk Mishra
1985-86 में जब मैं नगरी में मंडी निरीक्षक के रुप में पदस्थ था, तब यहाँ से ब्रिटिश ज़माने में रेलवे लाइन गुजरने के बारे में सुना था ! जहाँ तक याद आता है, मैने वहाँ कहीँ रेलवे लाइन का अस्तित्व भी देखा था !
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11 hrs
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Dk Sharma
Shukla ji कोयले वाली ट्रेन से भी बहुत सी यादें जुडी हैं। जब बिलासपुर से पिपरिया अपने नानी जी को छोड़ने जाया करता था। पुरे कपडे काले तो होते थे चेहरा भी पानी से धोने पर सिर्फ काला काला ही रंग निकलते था। और कभी आँख में चला गया तो भगवान ही मालिक । साथ ही शहडोल पहुचते तक रास्ते की खुबसुरती ,सिटी और गाड़ी की आवाज़ बड़ी ही मनमोहक हुआ करती थी।
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Yesterday at 7:24am
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Prakash Kumar
sunder sir ji
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18 hrs
Pran Chadha
इस मॉडल का एक इंजन बिलासपुर स्टेशन के सामने यादगार बन कर रखा गया है।
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13 hrs
Dk Sharma replied
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Dk Sharma
श्री मिश्र जी मेघा से मोहंदी सिंगपुर दुधली में प्लेटफार्म ,के अवशेष पुराने रेलवे कुए ,तथा पटरी के नीचे के बिछी गिट्टी व् लकड़ी के पुल तो मैंने भी देखा है। आदरणीय कलाम साहब (भु पु राष्ट्रपति ) तथा एशिया के एकमात्र सायफन सिस्टम से बने बांध माड़मसिल्ली की इंजीनियर मैडम सिल्ली भी इस ट्रेन में सफर किये हुए है ।
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47 mins
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Sk Mishra
वाह ! बहुत खूब !
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